Maheshwar Fort
Hello friends! आज के समय में पर्यटन करना या घूमना-फिरना किसे पसंद नहीं है? बेशक हम में से ज्यादातर लोगों को यह पसंद हैं। इस भाग-दौड़ भरी जिंदगी से कुछ पल अपने लिए और कुछ अपनों के लिए निकाल कर साथ गुजारना बेहद सुखद एहसास देता है, और ऐसे में जब बात महेश्वर फोर्ट जैसे ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल पर घूमने की हो, तो फिर कहना ही क्या? तो फिर आइए चलते है Maheshwar Fort इस ब्लॉग पोस्ट के साथ :
महेश्वर फोर्ट (Maheshwar Fort ) का इतिहास
महेश्वर फोर्ट के इतिहास को होलकर राज परिवार से जोड़ा जाता है। क्योंकि होलकर राज परिवार ने ही किले का निर्माण करवाया था। उस समय सेना आदि के आक्रमण से नगर और नगरवासियों की सुरक्षा हेतु किले बनवाए जाते थे। संपूर्ण महेश्वर फोर्ट को पत्थरों पर नक्काशी करके तथा चुना पत्थर से बनाया गया है, जो किले को काफी मजबूती प्रदान करती है।
महेश्वर का परिचय
महेश्वर अर्थात् भगवान शिव। भगवान महेश्वर के नाम से प्रसिद्ध इस नगरी को प्राचीन समय में "महिष्मति" के नाम से जाना जाता था। महेश्वर फोर्ट भारत देश के मध्यप्रदेश राज्य में इंदौर संभाग व खरगोन जिले के अंतर्गत आने वाला एक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल है। महेश्वर मां नर्मदा नदी के पावन तट पर बसा एक खूबसूरत नगर है।
देवी श्री अहिल्याबाई होलकर
महेश्वर नगरी देवी श्री अहिल्या बाई होलकर की राजधानी थी। देवी श्री अहिल्याबाई होलकर एक धर्मशील और न्याय प्रिय शासिका थी। वह भगवान शिवजी की परम भक्त थी। उनके शासनकाल में जनता बेहद खुश और संतुष्ट थी। उनके राजदरबार में बेहद सरल न्याय व्यवस्था हुआ करती थी। किला प्रांगण में आप देवी अहिल्या बाई की छत्री के दर्शन भी कर सकते है।
महेश्वर किस लिए प्रसिद्ध है?
महेश्वर प्रसिद्ध है, यहां की धार्मिक, राजनीतिक और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के लिए, होलकर राज परिवार द्वारा बनवाए गए भव्य किला परिसर, दर्शनीय मंदिरों व नर्मदा तट पर बने सुंदर स्नान घाट के लिए।
महेश्वर में देखने के लिए क्या क्या है?
भव्य किला परिसर
महेश्वर का किला और किला परिसर देखने में काफी विस्तृत, सुंदर और भव्य है। महेश्वर फोर्ट की बनावट और कारीगरी वाकई अद्भुत है, पत्थर पर नक्काशी द्वारा बनाई गई विभिन्न कलाकृतियां किसी का भी मन मोह लेने के लिए काफी है। किला प्रांगण में प्राचीन शैली के गुम्मददार मंदिर, साड़ी हैंडलूम और घाट आदि विशेष दर्शनीय है।
मंदिर
महेश्वर में आप देवी श्री अहिल्या बाई होलकर के समय के मंदिर भगवान श्री राजराजेश्वर का मंदिर, भगवान काशी विश्वनाथ जी का मंदिर, प्राचीन भवानी मंदिर, कालेश्वर, जलेश्वर एवं अन्य शिवालय, चिंतामणि गणेश जी, गोबर गणेश जी, बड़े गणपति, गुरु दत्तात्रेय मंदिर आदि के दर्शन कर सकते है।
माहेश्वरी साड़ी
यदि आप महेश्वर फोर्ट घूमने जा रहे है और बात यहां की प्रसिद्ध "माहेश्वरी साड़ी" की ना की जाए तो बात पूरी नहीं होती। महेश्वर नगर के आम-जन का मुख्य रोजगार है "माहेश्वरी साड़ी", यहां पर हाथकरघा ( HANDLOOMS) पर ताना बाना पद्धति के द्वारा साड़ी बुनने का कार्य बड़े पैमाने पर किया जाता है। यह विधा अपने आप में बेहद अनूठी है, इस विधा के माध्यम से साड़ीयों को कई प्रकार की DESIGNS में तैयार किया जाता है। आज माहेश्वरी साड़ी का निर्यात (EXPORT) लगभग विश्व के कौने कौने तक किया जा रहा है। महेश्वर फोर्ट आने वाली लगभग प्रत्येक महिला सैलानी "माहेश्वरी साड़ी" खरीदे बिना नहीं रहती। महिला वर्ग द्वारा यहां बनी साड़ीयों को बेहद पसंद किया जाता है। और यदि आपने भी महेश्वर फोर्ट विजिट करने का मन बना लिया है तो कम से कम एक माहेश्वरी साड़ी जरूर अपने साथ ले जाए।
नौका विहार
यदि आप प्रकृति प्रेमी है और प्राकृतिक दृश्यों, नर्मदा तट पर बने घाट, मंदिर और किला परिसर की झांकी को नदी के बीच से निहारना चाहते हो तो नौका विहार बहुत अच्छा विकल्प है, नाव के माध्यम से आप नदी के बीच बने बाणेश्वर मंदिर और महेश्वर के उस तट पर शालीवाहन मंदिर के दर्शन कर सकते है।
राजवाड़ा
जहां पर आप स्वर्ण का झूला, भगवान लड्डू गोपाल, चांदी और पीतल आदि धातुओं की बनी मूर्तियां, देवी श्री अहिल्याबाई होलकर के शासन काल के अस्त्र शस्त्र, राजदरबार की जीवंत झांकी, गार्डन, ऊंचाई से नर्मदा नदी इत्यादि के दर्शन कर सकते है।
स्नान घाट
नर्मदा नदी पर बने भव्य घाट का विस्तार काशी विश्वनाथ मंदिर से लेकर मातेंगेश्वर घाट तक है । पूरे वर्षभर नर्मदा नदी में जल का स्तर गहरा होता है। इसलिए सैलानियों के लिए घाट पर स्नान हेतु जंजीर लगा दी गई है। घाट पर नदी के जल में कई छोटी-बड़ी मछलियों के दर्शन से मन पुलकित हो उठता है।
सहस्त्रधारा जलकोटी
महेश्वर से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर सहस्त्रधारा जलकोटी है। जो कि नर्मदा नदी पर बना एक प्राकृतिक झरना है। यहां पर नर्मदा नदी का जल पत्थरों के बीच विभिन्न धाराओं में बहता है। कई सैलानी शाम के समय यहां स्नान, दर्शन के लिए आते है।
गुरु दत्तात्रेय आश्रम
सहस्त्रधारा जलकोटी में ही भगवान श्री गुरु दत्तात्रेय जी का भव्य मंदिर एवं आश्रम स्थित है। यहां एक मुखी दत्त भगवान का श्री विग्रह विराजमान है। मंदिर प्रांगण में गणेश जी, नर्मदा जी के मंदिर, औदुंबर के पेड़, यज्ञ शाला आदि भी दर्शनीय है।
Read More: prem mandir vrindavan - अति रमणीय दर्शन
आसपास के अन्य दर्शनीय स्थल
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग
महेश्वर से लगभग 70 किलोमीटर की दूरी पर ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग है, जहां आप भगवान श्री ममलेश्वर के दर्शन कर सकते है।
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग उज्जैन
लगभग 143 किलोमीटर की दूरी पर प्रसिद्ध महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग उज्जैन ।
मांडव (धार)
बावनगजा सिद्धक्षेत्र बड़वानी
नागलवाड़ी
तोरणमाल
जामगेट
क्या महेश्वर एक ज्योतिर्लिंग है?
यूं तो महेश्वर ज्योतिर्लिंग नहीं है, लेकिन यदि बात की जाए यहां की धार्मिक मान्यताओं, धर्म के प्रति लोगों की आस्था, उनके हर्षोल्लास की, प्राकृतिक सौंदर्य की, ईश्वर से जुड़ाव की तो महेश्वर ज्योतिर्लिंग से कम भी नहीं है। क्योंकि महेश्वर नर्मदा नदी के तट पर बसा है और पतित पावनी मां नर्मदा जी के जल का प्रत्येक पत्थर ज्योतिर्लिंग के समान ही पूज्यनीय है।
महेश्वर का निकटतम स्टेशन कौनसा है?
महेश्वर का सबसे निकटतम स्टेशन इंदौर पड़ता है, जो कि मध्यप्रदेश की फाइनेंसियल सिटी है। महेश्वर से इंदौर की दूरी लगभग 100 किलोमीटर है। यात्री रेलमार्ग, वायुमार्ग अथवा सड़कमार्ग आदि माध्यम से इंदौर पहुंच सकते है और इंदौर से महेश्वर फोर्ट जाने के लिए आप सर्विस बस, निजी वाहन, कैब या टैक्सी का उपयोग कर सकते है। इंदौर से महेश्वर का रास्ता तय करने में लगभग 3 घंटे का समय लगता है।
महेश्वर किले में किन फिल्मों की शूटिंग हुई थी?
महेश्वर किले में सचिन एवं साधना अभिनीत फिल्म तुलसी , अक्षय कुमार की पैडमेन, धर्मेंद्र, सन्नी देओल और बॉबी देओल की यमला पगला दीवाना, उत्कर्ष शर्मा की जीनियस, मणिकर्णिका, तेवर आदि फिल्मों की शूटिंग हुई है।
महेश्वर फोर्ट घूमने का सही समय क्या है?
महेश्वर फोर्ट सुबह से लेकर शाम तक पर्यटकों के लिए खुला रहता है। यहां पूरे वर्षभर देश-विदेश के सैलानी महेश्वर फोर्ट घूमने के लिए आते रहते है, लेकिन SUMMER TIME यहां घूमने और स्नान आदि की दृष्टि से विशेष है। यदि आप स्विमिंग, बोटिंग आदि का शौक रखते है तो गर्मियों का सीजन इसके लिए बेहद अनुकूल है। यदि आप धार्मिक आस्था में रुचि लेते है तो फिर सावन के महीने में आए। इस समय कावड़ यात्रा, धार्मिक अनुष्ठान, भगवान श्री काशी विश्वनाथ जी की सवारी आदि आयोजन में शामिल होकर पुण्य लाभ ले सकते है।